तेलंगाना बिल को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पृथक तेलंगाना के गठन हेतु आज एक अहम कदम आगे बढ़ा लिया है। केन्द्रीय मंतिमंडल की बैठक में आज शुक्रवार को तेलंगाना के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी गई। इसके साथ ही इस विधेयक को संसद में पेश करने का रास्ता भी साफ़ हो गया है। विधेयक को सोमवार को संसद के समक्ष पेश किया जायेगा। आपको बता दें कि, पंद्रहवी लोकसभा का यह अंतिम सत्र चल रहा है। संसद का मौजूदा सत्र 21 फरवरी तक चलेगा, और केंद्र तेलंगाना विधेयक को इसी सत्र में पारित करवाना चाहेगी।
तेलंगाना बिल के मसौदे के मुताबिक, सीमांध्र क्षेत्र (प्रस्तावित तेलंगाना के हिस्से) के केंद्रीय मंत्रियों को खुश करने के लिए ड्राफ्ट में पिछड़े क्षेत्र को आर्थिक पैकेज देने की भी बात कही गई है। वहीँ, मुख्यमंत्री किरण रेड्डी की मांग को नामंजूर करते हुए दोनों ही राज्यों की राजधानी संयुक्त रूप से हैदराबाद को रखने का प्रस्ताव किया गया है। मसौदे के अनुसार करीब दस सालों तक हैदराबाद दोनों राज्यों की राजधानी रहेगी और इसके बाद इसे केवल तेलंगाना की राजधानी बना दिया जाएगा।
आपको बताते चलें कि, आंध्र प्रदेश के बंटवारे का फैसला कांग्रेस के लिए कई मायनों में चुनौती भी बना हुआ है। गैर-तेलंगाना क्षेत्र से आने वाले राज्य के मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी और कई अन्य कांग्रेस नेता इस विधेयक के मसौदा का विरोध कर रहे हैं। रेड्डी ने शुक्रवार को कहा कि संयुक्त आंध्र प्रदेश के लिए वह पार्टी से निष्कासित होने के लिए भी तैयार हैं। रेड्डी ने इसी सप्ताह जंतर-मंतर पर धरना भी दिया था। इस धरने में आंध्र प्रदेश से आने वाले कुछ केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए थे। रेड्डी की मांग थी कि, कांग्रेस के आठ संसद सदस्य हैदराबाद को संघ शासित प्रदेश बनाने की मांग कर रहे हैं, जिसका राजस्व सीमांध्र और तेलंगाना दोनों में बंटे।