SA20 2025 नीलामी: 200 खिलाड़ियों का पूल, भारतीय-पाकिस्तानी खिलाड़ियों पर भ्रम और डेवाल्ड ब्रेविस सबसे महंगे

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SA20 2025 नीलामी: 200 खिलाड़ियों का पूल, भारतीय-पाकिस्तानी खिलाड़ियों पर भ्रम और डेवाल्ड ब्रेविस सबसे महंगे
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541 खिलाड़ियों की चर्चा बनाम तथ्य: SA20 नीलामी में असल में क्या हुआ

541 खिलाड़ियों की सूची और भारतीय-पाकिस्तानी खिलाड़ियों के बाहर होने के दावे खूब घूमे, लेकिन उपलब्ध आधिकारिक कवरेज में ऐसी कोई पक्की पुष्टि नहीं दिखती। जो पुख्ता है, वह यह कि इस बार का पूल 200 खिलाड़ियों का रहा—लगभग 110 दक्षिण अफ्रीकी और 90 विदेशी। छह फ्रैंचाइज़ियों ने अपने स्क्वॉड्स को और मजबूत किया और नीलामी के बाद कुल 84 स्लॉट भरे गए। कुछ रिपोर्टों में खुले स्लॉट की संख्या को लेकर अंतर दिखा, इसलिए 541 के आंकड़े या किसी “समूह-स्तरीय बहिष्कार” वाले दावों को फिलहाल तथ्य नहीं माना जा सकता।

नीलामी का रंग उसी वक्त चढ़ा जब डेवाल्ड ब्रेविस सबसे महंगे खिलाड़ी बने। टॉप-ऑर्डर स्थिरता के लिए मशहूर रीसा हेंड्रिक्स को MI केप टाउन ने 4,300,000 ZAR में खरीदा। डेथ-ओवरों में प्रभावी इंग्लिश पेसर रिचर्ड ग्लीसन 2,300,000 ZAR में सनराइजर्स ईस्टर्न केप के हिस्से आए।

उसी के साथ कुछ बड़े नाम अनसोल्ड भी रहे—यह दिखाता है कि टीमों ने बैलेंस, भूमिकाओं और घरेलू-विदेशी कोटा के हिसाब से सख्त प्राथमिकताएं तय कीं।

  • अनसोल्ड में इंग्लैंड के जेम्स एंडरसन जैसे अनुभवी पेसर का नाम भी शामिल रहा।
  • दक्षिण अफ्रीका के ऑलराउंडर एंडिले फेहलुकवायो और जूनियर डाला को खरीददार नहीं मिला।
  • बांग्लादेश के मुस्तफिजुर रहमान और श्रीलंका के कुसल परेरा भी इस बार नहीं बिके।
  • इंग्लैंड के मोहम्मद अली (मोईन अली) जैसे बहुमुखी खिलाड़ी को भी कोई फ्रैंचाइज़ी नहीं मिली।

कुल मिलाकर, टीमें फिनिशिंग, पावर-हिटिंग और डेथ बॉलिंग की खास जरूरतों के साथ गईं। ऐसे में फॉर्म, फिटनेस और उपलब्धता ने कीमतें तय करने में बड़ी भूमिका निभाई। इसी पृष्ठभूमि में SA20 2025 नीलामी ने यह संकेत दिया कि फ्रैंचाइज़ियां अब अल्ट्रा-विशिष्ट रोल्स के लिए बोली लगाती हैं और ‘बड़े नाम’ सिर्फ नाम से नहीं बिकते।

भारतीय और पाकिस्तानी खिलाड़ियों पर सवाल क्यों उठे—नीति, उपलब्धता और हकीकत

भारतीय और पाकिस्तानी खिलाड़ियों पर सवाल क्यों उठे—नीति, उपलब्धता और हकीकत

सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा चर्चा इसी बात की रही कि भारतीय और पाकिस्तानी खिलाड़ियों का क्या हुआ। यहां एक अहम संदर्भ समझना जरूरी है। भारतीय बोर्ड (BCCI) की नीति के तहत सक्रिय भारतीय खिलाड़ी विदेशी टी20 लीग में खेलने की अनुमति नहीं पाते। यही वजह है कि किसी भी विदेशी लीग—चाहे वह SA20 हो या द हंड्रेड—में सक्रिय भारतीय खिलाड़ियों के नाम आम तौर पर नीलामी या ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं दिखते। रिटायर भारतीय खिलाड़ी कभी-कभार अपवाद रहे हैं, पर वे भी कम ही नजर आते हैं।

पाकिस्तानी खिलाड़ियों के मामले में तस्वीर अलग तरह से जटिल है। PCB से NOC, अंतरराष्ट्रीय शेड्यूल, और लीग कैलेंडर के टकराव जैसी व्यावहारिक बातें कई बार आड़े आती हैं। दक्षिण अफ्रीका की यह लीग जनवरी-फरवरी की विंडो में खेली जाती है, जब अन्य राष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं और लीग विंडोज भी रहती हैं। ऐसे में उपलब्धता और प्राथमिकताओं का सवाल बड़ा हो जाता है। इस राउंड के कवरेज में ‘विशेष रूप से बाहर रखने’ जैसा कोई पुष्ट वाक्य नहीं मिला—इसलिए इसे नीतिगत बहिष्कार मानना सही नहीं होगा।

एक और बात: जब 200 खिलाड़ियों का पूल बनता है, तो उसमें जगह पाना भी आसान नहीं होता। फ्रैंचाइज़ियां पहले से रिटेंशन करती हैं, स्थानीय कोर बनाती हैं और उसके बाद सीमित संख्या में स्लॉट खोलती हैं। ऐसे में हर बोर्ड, हर देश और हर प्रोफाइल के खिलाड़ियों के लिए प्रतिस्पर्धा बेहद सख्त रहती है। इस बार भी छह टीमों ने पेस-हिटिंग-ऑलराउंड बैलेंस को तवज्जो दी और जिन्हें सिस्टम में तत्काल फिट देखा, वही बड़े पैसों में खरीदे गए।

संक्षेप में, 541 खिलाड़ियों की सूची और भारत-पाक खिलाड़ियों के सामूहिक अपवर्जन वाले दावे उपलब्ध तथ्यों से मेल नहीं खाते। जो ठोस है, वह यह कि 200 खिलाड़ियों के पूल में से चयन हुआ, 84 स्लॉट भरे गए, डेवाल्ड ब्रेविस सबसे महंगे रहे, रीसा हेंड्रिक्स और रिचर्ड ग्लीसन जैसी खरीदें सुर्खियों में रहीं, और कई नाम—चाहे जितने बड़े क्यों न हों—अनसोल्ड भी रहे। आगे का बड़ा सवाल अब यही है कि इन नई जोड़ियों और रणनीतियों से सीजन की शुरुआत में किस टीम को शुरुआती बढ़त मिलती है।

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