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मुज़फ़्फ़रनगर दंगा पीडितों पर फिर छाए संकट के बादल

 

मुज़फ़्फ़रनगर में हिंसा और मौत का मंज़र देखने के बाद राहत शिविरों में रह रहे लोगों को ठंड की मार झेलनी पड़ रही है| राहत शिविरों में रह रहे लोगों के लिए यूपी सरकार ने जो इंतज़ाम किए वो नाकाफी साबित हो रहे हैं| यहां ठंड के चलते 40 से ज़्यादा बच्चों की मौत हो गई है| .मौत का ये आकंडा दिन-पर-दिन बढ़ता ही जा रहा है| 
 
हिंसा प्रभावित यूपी के मुज़फ़्फ़रनगर में लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही| इसी साल सितंबर के महीने में भड़की हिंसा की आंच तो ठंडी हो गई| लेकिन अब ठंड कहर बनकर टूट पड़ी है| हिंसा और मौत के खौंफ से ज़िले के राहत शिविरों में रह रहे लोगों को खुले आसमान के नीचे रहने की कीमत चुकानी पड़ रही है| बेघर हुए इन लोगों पर अब कुदरत को भी रहम नहीं आया| कुदरत ने ऐसा कहर बरपाया कि 40 से ज़्यादा मासूम अब तक मौत की नींद सो चुके हैं| कई मांओं की गोद सूनी हो गई है| तो कई अपने जिगर के टुकड़े को खोने के डर से सहमी हुई सी हैं| 
 
मुज़फ़्फ़रनगर में भड़की हिंसा की तपिश में जलते लोगों को राहत देने का यूपी सरकार ने बीड़ा उठाया| अखिलेश सरकार ने यूपी की सबसे बेहतर सरकार होने का श्रेय लेने की कोशिश की| लेकिन 
 
राहत शिविरों ने खोली यूपी सरकार की बदइंतज़ामी की पोल (वीओ-राहत शिविरों में ठंड के कारण हो रही बच्चों की मौत ने यूपी सरकार की पोल खोलकर रख दी) और 
रिफ़्यूज़ी कैंपों की बदहाली ने खड़े किए यूपी सरकार पर सवाल (वीओ-रिफ़्यूज़ी कैंपों की बदहाली ने यूपी सरकार पर सवाल खड़े कर दिए) 
कुदरत की मार झेल रहे इन लोगों की मदद के लिए यूपी सरकार का हाथ आगे नहीं बढ़ा| लेकिन यूपी सरकार के लचर रवैये ने राजनीतिक पार्टियों को बोलने का मौका ज़रूर दे दिया है| 
 
ताजुब्ब तो तब हुआ जब ज़िले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से इस बाबत जानकारी ली गई| लोकेश गुप्ता, CMO, मुज़फ़्फ़रनगर
राजनीति की बिसात में पिसता आम आदमी ही है| ऐसा ही हुआ राहत शिविरों में रह रहे लोगों के साथ| सीएमओ ने जांच के आदेश दे दिए हैं| लेकिन सवाल ये है कि यूपी सरकार की नींद कब टूटेगी|

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