ये कैसा इलाज?
रांची: कहने को तो हम 21वीं सदी में जी रहे हैं और आधुनिक होने का दावा भी करते हैं| हम विज्ञान और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी किसी से पीछे नहीं हैं, पूरी दुनिया भारत का लोहा भी मानती है लेकिन, आज भी इसी आधुनिक भारत में ऐसी परंपराएं हैं या यूं कहें कि, लोगों में अंधविश्वास इतना हावी है जो देश के पिछड़ा होने का एहसास दिलाता है|
झारखंड के जमशेदपुर में आदिवासी इलाकों में पिछले कई दशकों से चली आ रही चिड़ी दाग नाम की चौंकाने वाली परंपरा आज भी कायम है| मकर संक्रांति के अगले दिन होने वाले अंधविश्वास के इस इलाज में मासूमों को गर्म सलाखों से दागकर रोगमुक्त करने का दावा किया जाता है| यहां के लोगों में अंधविश्वास इस कदर भरा पड़ा है कि, इन्हें अपने मासूम बच्चों की चीखें, आंसू और दर्द दिखाई नहीं पड़ता| लोगों की मान्यता है कि, इस इलाज से बच्चों को पेट दर्द समेत दूसरी बीमारियां नहीं होती और बच्चे स्वस्थ रहते हैं|