गया था इलाज कराने और निकाल ली किडनी!
कानपुर/लखनऊ: भगवान का दूसरा रूप कहे जाने वाले एक डाक्टर ने अपने पेशे को शर्मशार कर दिया है। मामला कानपुर स्थित रामा मेडिलक कालेज का है। जहां एक बीमारी से पीड़ित दीपक कुशवाहा को अपना ईलाज कराना महंगा पड़ा। क्योंकि, उसकी ईलाज के दौरान डाक्टर द्वारा किडनी निकाल ली गई थी।
मामला है कानपूर के मंधना स्थित प्रतिष्ठित रामा मेडिकल कालेज का जहाँ के एक सर्जन प्रफुल्ल गुप्ता के पास पिछली तीन जुलाई को पेट में दर्द कि शिकायात लेकर कन्नौज के भगवानपुर के रहने वाला 28 वर्षीय दीपक कुशवाहा आया। उसका डाक्टरों ने आपरेशन किया और उसे घर वापस भेज दिया। उसके बाद 23 जुलाई को उसे पेट में भीषण दर्द हुआ और वो दोबारा मेडिकल कालेज आया जिसमे मेडिकल कालेज के डा कटियार ने उसका अल्ट्रासाउंड किया तो उसने बताया कि तुम्हारी तो एक किडनी ही नहीं है।
इतना सुनते ही दीपक के पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई। उसके बाद दीपक डाक्टर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए बिठूर थाने गया जहाँ से उसे बैरंग लौटा दिया गया। उसके बाद मजबूर होकर दीपक ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। फिर कोर्ट ने मेडिकल कालेज के सर्जन डा प्रफुल्ल कुमार गुप्ता और निदेशक आर के श्रीवास्तव के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए। पुलिस ने दोनों के खिलाफ भा.द.स. की धारा 308, 420, 506 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
मामले में बिठुर के थाना प्रभारी जितेन्द्र कुमार यादव का कहना है कि, प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच की जा रही है। जाँच के दौरान जिसे भी दोषी पाया जाएगा उसे कानून के तहत सजा दी जाएगी। हालांकि, अभी तक पुलिस द्वारा किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। पुलिस के ढुलमुल रवैये से परेशान होकर पीड़ित दीपक न्याय पाने के लिए अधिकारियों से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक की चौखटों पर कई महीने तक भटकता रहा। लेकिन, उसकी कही पर भी सुनवाई नही हुई। हर तरफ से मजबूर होकर पीड़ित ने न्यायलय का दरवाजा खटखटाया तब जाकर कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने घटना के 6 महीने बाद मुकदमा दर्ज किया।