कोयला आबंटन घोटाला: SC के बाद केंद्र भी सख्त, 41 कंपनियों को भेजा नोटिस
नई दिल्ली: कोयला घोटाला मामले में पहले से ही सुप्रीम कोर्ट सख्त है। सुप्रीम कोर्ट समय-समय पर मामले में लापरवाही बरतने के चलते सीबीआई और केंद्र सरकार को फटकार लगाती रहती है। इसी क्रम में आज केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि, उसने 41 कोयला कंपनियों को नोटिस जारी कर दिया है। जिसमे उन कंपनियों के लाईसेंस क्यों न निरस्त किये जाए? पूछा गया है।
कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा और एक गैर सरकारी संगठन की याचिकाओं की नियमित सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ को केंद्र सराक ने अवगत कराया कि, उसने 41 कंपनियों को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है। सरकार ने नोटिस जारी कर पूछा है कि, उन कंपनियों के लाइसेंस क्यों न निरस्त किये जाये। सरकार ने कंपनियों को जबाव देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। उसके बाद सरकार एक सप्ताह का समय कार्यवाई करने के लिए लेगी।
लेकिन, यहां पर भी अदालत ने केंद्र सरकार को नहीं छोड़ा। एक बार फिर से सरकार को सुप्रीम कोर्ट की आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा। अदालत ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि, संबंधित छानबीन समिति ने कोयला ब्लॉक आवंटन में तय दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया।
दूसरी तरफ न्यायलय ने 32 कोयला कंपनियों को लीज की शर्तों का पालन करने और कोल ब्लॉक का परिचालन शुरू करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया। न्यायालय ने कहा कि यदि ये कंपनिया तीन सप्ताह के भीतर ऐसा नहीं करती हैं अथवा ऐसा करने में असफल रहती हैं तो उनके लाइसेंस रद्द किये जा सकते हैं। खंडपीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर एवं न्यायमूर्ति कूरियन जोसेफ हैं।
यूपीए पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के दस साल के शासन के कारण देश की आर्थिक स्थिति खराब रही। मोदी ने कहा कि, देश में प्राकृतिक संपदा का सही इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। उन्होंने रोजगार के लिए उद्योगों के विकास पर जोर देते हुए कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का पूरा उपयोग होना चाहिए। मोदी ने कहा कि विकास के लिए युवाओं को जोड़ना बहुत जरूरी है।