डौंडिया खेड़ा खुदाई: सोना तो नहीं मिला पर मिल गईं..!
08 Feb 2014
उन्नाव: कुछ दिन पहले सोने की खुदाई के चलते सुर्ख़ियों में आया उत्तर प्रदेश राज्य के उन्नाव जिले में आने वाले क्षेत्र डौंडिया खेड़ा महल में खुदाई के दौरान किसी प्रकार का सोना तो नहीं मिला। लेकिन, खुदाई के दौरान कुछ ऐसी चीजें मिली हैं जो पुरातत्व विभाग के लिए काफी अहम है। खुदाई कर रहे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की टीम को सोने से भी बड़ा खजाना मिला है। खुदाई के दौरान कुछ ऐसे अवशेष मिलें हैं जो यह बताते हैं कि, वहां का इतिहास आज के करीब तीन हजार वर्षो से भी पुराना है। यह जानकारी पुरातत्व विभाग के लिए अहम् माना जा रहा है।इससे पहले डौंडिया खेड़ा का इतिहास 7वीं सदी तक का ही माना जा रहा था।
एएसआइ के पहले महानिदेशक ने वर्ष 1860 में कुछ प्रमाण जुटाए थे कि, चीनी यात्री ह्वेन सांग ने सातवीं सदी में डौंडिया खेड़ा का भ्रमण किया था। उसने लिखा था कि डौंडिया खेड़ा में बौद्ध धर्म मानने वाले लोग उसे मिले थे। एएसआइ ने जब डौंडिया खेड़ा में राजा राव रामबख्श के महल की खोदाई की तो वहां मिले अवशेषों से प्राथमिक स्तर पर इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया कि वहां का इतिहास 2 हजार साल पुराना है।
खुदाई के दौरान पुरातत्व टीम को चमकीले मृदभांड, लाल बर्तन, हड्डी की नुकीली वस्तुएं, जानवरों की हड्डियां, सुपारी के आकार के पत्थर व लोहे की कीलें मिली थीं। एएसआइ की उत्खनन एवं अन्वेक्षण शाखा के निदेशक डॉ. जमाल हसन का कहना है कि, अवशेषों के अध्यन करने से यह बात सामने आई है कि, डौंडिया खेड़ा का इतिहास कम से कम 3 हजार वर्ष पुराना है। एएसआइ के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. बी आर मणि कहते हैं कि एएसआइ ने परीक्षण के लिए डौंडिया खेड़ा में खोदाई की अनुमति दी थी। विभाग ऐसी खोदाई कराता रहता है।
संत शोभन सरकार ने डौंडिया खेड़ा में लगभग एक हजार टन सोना दबा होने का दावा किया था। जिसके बाद राजा राव रामबख्श के खंडहर हो चुके महल में एएसआइ ने 18 अक्टूबर को खोदाई शुरू कराई थी। जियोलॉजिकल ऑफ इंडिया ने एएसआइ को 29 अक्टूबर को रिपोर्ट दी थी, जिसमें उसने कहा था कि महल के नीचे सोना, चांदी या अन्य धातु दबी हो सकती है। राजा के महल में एक माह तक खोदाई चली और काम 19 नवंबर 2013 को पूरा हुआ। इस काम में करीब 278751 रुपये खर्च हुए थे। आपको बता दें कि, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों ने महल पर कब्जा कर राजा राव रामबख्श को फांसी दे दी थी।
बात खुदाई की हो अथवा सोना निकलने की। सभी की निगाहें दौन्दिया खेडा पर थी। इस बावत करीब 200 लोगों ने सूचना अधिनियम का प्रयोग करते हुए पुरातत्व विभाग के दिल्ली स्थित मुख्यालय में करीब 200 आरटीआइ लगाई गई हैं। इसमें लोगों ने जानना चाह है कि, क्या सपनों के आधार पर भी एएसआइ खोदाई कराता है? क्या बाबाओं की बात पर भी एएसआइ भरोसा करता है? इतना ही नहीं कई लोगों ने सोना निकालने के लिए खुदाई में खर्च हुए पैसों की भी जानकारी माँगी है।