सोनागाछी: जहां जन्म लेते ही वेश्या बन जाती हैं लड़कियां
05 Feb 2014
कोलकाता: लड़कियां देवी का रूप होती हैं। ऐसा वेदों, पुरानों और शास्त्रों में लिखा है। लेकिन, एक ऐसी जगह हैं जहां लड़कियां जन्म लेते ही वेश्या बन जाती है। यह जगह कही बाहर नहीं बल्कि, भारत के कोलकाता में सोनागाछी है। कोलकाता की चकाचौंध रातों की काली असलियत भले ही देह-व्यापार को लेकर कानून हों लेकिन देश के कई हिस्सों में ये आज भी लाखों लड़कियों का भाग्य है।
सोनागाछी का अर्थ होता है ‘सोने का पेड़’। लेकिन, यहां तो सोने को मिट्टी समझा जाता है। कुछ लोगों की माने तो पहले सोनागाछी में केवल नाच-गाना ही हुआ करता था। जिसे कला की दृष्टि से भी देखा जाता था। लेकिन, समय बीतने के साथ-साथ यहां की संगीत और नृत्य कला की जगह अभिशाप स्वरुप वेश्यावृत ने ले ली। कोर्ट कितनी भी कोशिश कर ले कि, देह व्यापार को बंद किया जाए। लेकिन, सच्चाई तो यह है कि, आज भी देश के कई हिस्से लडकियों के लिए अभिशाप बने हुए हैं। उन्ही में से एक जगह कोलकाता का सोनागाछी भी है।
आपको बता दें कि सोनागाछी एशिया का सबसे बड़ा रेड-लाइट एरिया माना जाता है। यहां कई गैंग हैं जो इस देह-व्यापार के धंधे को संचालित करते हैं। यहां 18 वर्ष से कम उम्र यानि नाबालिग उम्र की करीब 12 हजार लड़कियां देह व्यापार में लिप्त हैं। लेकिन, यहां के प्रशासन द्वारा देह व्यापार को रोकने और उन लड़कियों के पुनर्वास संबंधी कोई भी कार्य नहीं किया गया है।
वैसे तो देह व्यापार पर समय-समय पर कई फ़िल्में बनती रही है। लेकिन, आपको बता दें कि, सोनागाछी पर भी फिल्म बन चुकी है। कोलकाता के इस रेडलाइट एरिया को विषय बनाकर एक फिल्म भी बनी है। Born Into Brothels नाम की इस फिल्म को ऑस्कर अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
अब इसे भारत का दुर्भाग्य कहे या कुछ और? क्योंकि, जिस उम्र में अधिकांश माताएं अपने बच्चों को आदर्श, सच्चाई, सफाई और पवित्रता के रास्ते पर चलने का मंत्र देती हैं। माताएं बच्चों को दुनिया की रीति-रिवाज, लाज-शरम सिखाती हैं। लेकिन, यहां की अधिकांश माताएं अपनी वेटियों को खुद को बेचना सीखाती हैं। यहां की 12 से 17 वर्ष की लड़कियां अनजान लोगों के साथ हमबिस्तर होना सीख जाती हैं। जिसके बदले में उन्हें करीब 124 रुपए मिलते हैं।
सोनागाछी स्लम में बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश भी वर्जित है। यानि, यदि आप यहां की बात प्रशासन तक पहुचाने की कोशिश करेंगे तो आपके साथ अनहोनी भी हो सकती। देह व्यापार को संचालित करने वाले लोग स्लम में किसी को कैमरा आदि लेकर नहीं जाने देतें। यहां तक कि, मीडियाकर्मियों, पत्रकारों, फोटोग्राफरों के लिए भी स्लम में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की माने तो यह सब गरीबी, भ्रष्टाचार और अनैतिकता का परिणाम है। यहां की ज्यादातर बच्चियां स्कूल छोड़कर आई हैं और अब देह बेचने का पाठ पढ़ रही हैं।