भारत और चीन समेत 21 देशों ने बनाया नया बैंक
            
              25 Oct 2014
            
             
            
            
              नई दिल्ली : भारत के लिए चीन का समर्थन करना कभी आसान नहीं रहा है। इस मसले पर आगे बढ़ने में भी कई दिक़्कतें थीं। भारत को इस बात का डर था कि चीन का इस बैंक पर नियंत्रण होगा और एशिया में उसकी स्थिति मजबूत हो जाएगी। दरअसल चीन इस बैंक के 100 अरब डॉलर की इक्विटी पूंजी में से 50 फ़ीसदी की पेशकश कर रहा है। ज़ाहिर है कि इस बैंक में भारत की हिस्सेदारी और प्रभाव कम होगा। लेकिन सवाल यह है कि इस बैंक में चीन के आर्थिक सहयोग के अलावा दूसरा विकल्प क्या है? रिलायंस समेत बड़ी भारतीय कंपनियों ने चाइना डेवलपमेंट फंड से काफी कर्ज़ लिया है। चीन का प्रभाव पहले से ही ज़्यादा है ऐसे में इसका विरोध करने के बजाए इसका फायदा उठाना ही मुनासिब होगा। 
            
            
               
            
            
              एआइआइबी के 21 सदस्य
            
            
              भारत, चीन, वियतनाम, उज्बेकिस्तान, थाइलैंड, श्रीलंका, सिंगापुर, कतर, ओमान, फिलीपीन्स, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, ब्रुनेई, कम्बोडिया, कजाखिस्तान, कुवैत, लाओस, मलेशिया, मंगोलिया और म्यांमार
            
            
              ब्रिक्स बैंक से अलग होगा यह बैंक
            
            
              एआइआइबी ब्रिक्स विकास बैंक से अलग होगा। ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसी दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। इसकी शुरुआत अगले दो साल में होगी। इस बैंक का पहला अध्यक्ष कोई भारतीय बनेगा।
            
            
              इंडिया इंक ने किया स्वागत
            
            
              भारतीय उद्योग जगत ने एआइआइबी के गठन का स्वागत करते हुए कहा कि भारत जैसे देश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए खरबों डॉलर की जरूरत है। यह बैंक इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए धन की तंगी को दूर करेगा।