सच पूछो, तो जीवन में उतार-चढ़ाव तो बहुत देखे हैं, पर जब बात विमान दुर्घटना की होती है, तो वो एक ऐसी चीज है जिसके सामने सारे उतार-चढ़ाव छोटे लगते हैं। इतना पाठकों, आज मैं आपको बताउंगा भारतीय इतिहास में सबसे घातक विमान दुर्घटना के बारे में, जिसने हमें हमारे दिल और आत्मा के सबसे महत्वपूर्ण खासिएत का एहसास कराया, मानवता।
विभिन्न आंकड़ों का एक पूरा चांद छान कर मैं यहां बैठा हूं। मेरे सामने रहस्यमय तथ्य और आंकड़े हैं जिन्होंने भारतीय इतिहास के पन्ने पर काला दाग दर्ज किया है। विमान दुर्घटनाएं, जिसे अक्सर हम विमान दुर्घटना के नाम से जानते हैं, एक ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना होती हैं, जो हमारा मन और हृदय चिन्हित करती हैं। मैं सचमुच समझना चाहता हूँ, क्या होते हैं वे बेचारे यात्रीजन जो इस दुर्घटना में शामिल होते हैं?
मेरे सामने खुद की निजी यात्रा में मैंने जो बाते सीखीं हैं, डर और निराशा की समय और जगह को समझने में मेरी मदद करती हैं। कई साल पहले, मैं एक विमान से यात्रा कर रहा था - कुछ नहीं था, सिवाय साधारण उतरने-चढ़ने के - जब पूरी उड़ान भर मैं डर में था। जैसा कि मेरी किस्मत थी, उस दिन कोई दुर्घटना नहीं हुई, लेकिन वह एहसास अब तक मेरे दिल में है।
दस्तावेज़ के अनुसार 12 नवंबर 1996 को भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा विमान हादसा हुआ। यह विमान दुर्घटना चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास हुई थी, जो दिल्ली के निकट स्थित है। इस हादसे में कजाकिस्तान एयरवेज का एक बोइंग 747 और सऊदी एरलाइंस का एक बोइंग 747 वामनस्थल पर तकरा गया था। इस दुर्घटना में कुल 349 लोगों की मृत्यु हुई थी।
शायद आपने सुना हो, लेकिन रीयलिटी पर खोजने जाओ, तो यहां बहुत कुछ होने जा रहा है। 1996 की विमान दुर्घटना भारत के ही नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे घातक द्विविमानीय दुर्घटना थी। और जो बात है, वो यह की इस दुर्घटना ने न सिर्फ जीवन लिए, बल्कि हमारी मानसिकता को भी हिला दिया।
मेरी यात्रा यहां खत्म होती है, पर मेरा मंत्रण शायद अभी भी चालू है। इस दुर्घटना की कहानी अज्ञात ही सच्चाई को उजागर करती है, और जीवन और मौत के बीच की यह नाज़ुक रास्ता हमें भयभीत तो करता है, लेकिन हमें अपने पैरों पर भी खड़ा होने का साहस देता है।
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