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यूपी में तीसरे चरण की लोस चुनाव का थम गया प्रचार
23 Apr 2014

 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण की 12 सीटों के लिए  चुनाव प्रचार थम गया है। इन 12 सीटों में से 4 सीटें सिर्फ समाजवादी के पास हैं। यदि इन 12 सीटों पर सबसे ज्यादा किसी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है तो वह है समाजवादी पार्टी की। कांग्रेस ने भी वर्ष 2009 के चुनाव में यहां अच्छी सफलता अर्जित करते हुए 12 में से 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी। अब इस बार कांग्रेस इन सीटों को बचा पाती है अथवा नहीं यह देखना दिलचश्प होगा।
 
उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण की 12 सीटों के लिए  चुनाव प्रचार थम गया है। यहां एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर है। तो वहीँ दूसरी ओर कांग्रेस की। आइये सबसे पहले एक नज़र डाल लेते हैं की वर्ष 2009 के चुनाव में इन 12 सीटों में किसके पास कौन सीट थी।
 
मैनपुरी-समाजवादी पार्टी
इटावा-समाजवादी पार्टी
कन्नौज-समाजवादी पार्टी
हरदोई-समाजवादी पार्टी
फीरोजाबाद-कांग्रेस
फर्रुखाबाद-कांग्रेस
अकबरपुर-कांग्रेस
हाथरस-आरएलडी
मथुरा-आरएलडी
आगरा-भाजपा
फतेहपुर सिकरी-बसपा
एटा-निर्दलीय (कल्याण सिंह)
 
आपको अंदाज़ा लग गया होगा कि, क्यों समाजवादी पार्टी की प्रतिष्ठा यहाँ दाव पर हैं। इसके साथ ही कांग्रेस ने भी 2009 के लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित सफलता अर्जित करते हुए 3 सीटें अपनी झोली में डाल ली थी। इस बार उन्हें अपनी सीट बचाने की जद्दोजहद करनी पड़ रही है। कांग्रेस का मानना है कि, इस मर्तबा भी वह न सिर्फ अपनी 3 सीटें बचाने में कामयाब होगी बल्कि अन्य सीटों पर भी अच्छा प्रदर्शन करेगी।
 
भाजपा इस बार उत्तर प्रदेश से 60 सीटें जीतने का दावा कर रही है। उसके पास वर्तमान में मात्र 1 सीट आगरा की है। एटा की सीट भी उनकी झोली में डाली जा सकती है क्योंकि कल्याण सिंह वापस पार्टी में आ गए हैं। यानी कुल मिलाकर 12 में से 2 सीटें भाजपा के पास हैं। वो कैसे इस टैली को आगे बढ़ाएगी इस पर मनीष शुक्ला (प्रवक्ता भाजपा) का कहना है कि, देश में 10 साल से यूपीए की सरकार है जिसके प्रति लोगों का ज़बरदस्त गुस्सा है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की 25 महीने की सरकार के खिलाफ भी एंटी इन्कम्बेंसी फैक्टर काम कर रहा है ऐसे में हमारी टैली तो बढ़नी ही हैं।

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