इतिहास रचने के करीब भारत, 24 को 'मंगल' पर होगा ISRO
22 Sep 2014
नई दिल्ली: लाल ग्रह के साथ अपने ऐतिहासिक मिलन की ओर बढ़ रहा भारत का मंगलयान (मार्स ऑर्बिटर मिशन) आज मंगल के गुरूत्वीय प्रभावक्षेत्र में दाखिल हो गया। आगामी 24 सितंबर को इसे मंगल की कक्षा में दाखिल होना है। दोपहर ढाई बजे के करीब इस यान का लक्विड इंजन का 4 सेकेंड के लिए टेस्ट फायर किया जा सकता है। इसरो के वैज्ञानिकों ने बीते हफ्ते ही इंजन के इस टेस्ट के लिए कम्प्यूटर में कमांड दर्ज कर दिए थे। इसी इंजन को 24 सितंबर को शुरू करके यान को मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। उधर, अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था नासा की ओर से भेजा गया मैवेन नाम का अंतरिक्ष यान 10 महीने में 44 करोड़ 20 लाख मील का सफर करने के बाद रविवार रात मंगल की कक्षा में पहुंच गया। भारत के मंगल मिशन की तरह यह भी ग्रह की सतह पर न उतरकर कक्षा में चक्कर काटेगा और वहां के वातावरण, ग्रह पर पानी की मौजूदगी और रिहाइश की संभावनाओं का अध्ययन करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती मंगल की कक्षा में प्रवेश के लिए इस यान के तरल इंजन को दोबारा चालू करना है जो दस महीने से सुषुप्तावस्था में है। सोमवार को इसका परीक्षण किया जाएगा और इसे करीब चार सेकंड तक चालू रखा जाएगा। हालांकि, ये थ्रस्टर्स यान के इंजन के मुकाबले कम क्षमता वाले हैं, इसलिए इन्हें ज्यादा वक्त तक ऑन रखा जाएगा। वैज्ञानिक यह भी बताते हैं कि अगर वैकल्पिक तरीके से मंगल की कक्षा में दाखिल हुआ गया तो ग्रह के अध्ययन का मकसद किस हद तक पूरा हो पाएगा, यह साफ नहीं है। मंगलयान को अंतरिक्ष में मौजूद रेडिएशन से बचाना। 10 महीने इंजन के सुप्तावस्था में पड़े होने के बाद उसे रिस्टार्ट करना। ठंड से निपटना, नेविगेशन और कम्यूनिकेशन सिस्टम को दुरुस्त, मंगलयान 24 सितंबर को मंगल की कक्षा में प्रवेश करेगा। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बेंगलूर में इसरो के केंद्र में मौजूद रहकर इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनेंगे। भारत अगर अपने मिशन में कामयाब रहता है तो वह मंगल पर सफल मिशन भेजने वाला एशिया का पहला और दुनिया का चौथा देश होगा।
मंगल ग्रह की परिधि में 1350 किलो वजन वाले यान को स्थापित करना। इसके बाद ग्रह की सतह और मिनरल्स का अध्ययन किया जाएगा। भविष्य में मंगल ग्रह के लिए मानव मिशन शुरू करने के लिए भी जानकारी जुटाई जाएगी। वहां के वातावरण में मीथेन की मौजूदगी का अध्ययन किया जाएगा। यान को दिसंबर में सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से से लॉन्च किया गया था।
मिशन की लागत करीब 400 करोड़ रुपए है। हाल ही में इसरो के एक लॉन्च कार्यक्रम में शामिल हुए पीएम मोदी ने कहा था कि हमारे मंगल मिशन की लागत हॉलीवुड फिल्म ग्रैविटी को बनाने में आए खर्च से भी कम है। बता दें कि ग्रैविटी फिल्म को बनाने में करीब 600 करोड़ रुपए का खर्च आया था।
मंगल ग्रह से जुड़े मिशन शुरू करने के लिए पांच अन्य वैश्विक रिसर्च संगठनों ने कोशिशें की हैं। यूएस, यूरोप और रशिया के कुछ संगठनों को कुछ मिशनों में कामयाबी मिली है। हालांकि, चीन और जापान असफल रहे। बता दें कि मंगल ग्रह को लेकर बनाए गए अंतरिक्ष मिशनों में से दो तिहाई से ज्यादा नाकाम हुए हैं।